2 से अधिक बच्चे वाले कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक

दो से अधिक बच्चे वाले कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक

2 से अधिक बच्चे वाले कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक
2 से अधिक बच्चे वाले कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक

 

दो से ज्यादा बच्चों वाले राज्य कर्मचारियों को प्रमोशन देने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है, जिसमें सरकार इन कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन दे रही थी। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश संतोष कुमार और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। इस आदेश से हजारों कर्मचारी प्रभावित होंगे।

हाईकोर्ट की याचिका के अनुसार क्या होगा बदलाव 

याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार 16 मार्च 2023 की अधिसूचना से उन कर्मचारियों को बैक डेट से पदोन्नति दे रही है, जिनके दो से ज्यादा बच्चे होने के कारण 5 साल या 3 साल के लिए प्रमोशन रोके गए थे। इन कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन देने पर हमारी वरिष्ठता सूची में बदलाव आ गया है, हम वरिष्ठता सूची में नीचे चले गए हैं, जिससे हमारी पदोन्नति प्रभावित हो

 रिव्यू डीपीसी करके दिया जा रहा था प्रमोशन याचिकाकर्ताओं के वकील शोभित तिवाड़ी ने बताया- साल 2001 में राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके 1 जून 2002 के बाद तीसरा बच्चा पैदा होने पर सरकारी कर्मचारी को 5 साल के लिए प्रमोशन से वंचित करने का नियम लागू किया था।

वर्ष 2017 में भी हुवे थे कुछ बदलाव 

साल 2017 में सरकार ने 5 साल की अवधि को घटाकर 3 साल कर दिया था, लेकिन पिछले साल कार्मिक विभाग ने 16 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी करके कहा कि ऐसे सभी कर्मचारी जिनकी पदोन्नति दंड स्वरूप रोकी गई थी।

उन्हें उनके पदोन्नति वर्ष से ही प्रमोशन का लाभ दिया जाए। ऐसे में राज्य सरकार के करीब 125 विभागों में रिव्यू डीपीसी के माध्यम से ऐसे सभी कर्मचारियों को उनकी प्रारंभिक पदोन्नति की तिथि से प्रमोशन का लाभ दिया जा रहा था। जो पूर्व में अयोग्य घोषित, उसे योग्य नहीं माना जा सकता

सरकार का एक बार फिर वही ऐक्शन 

याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार ने पहले अधिसूचना जारी करके उन कर्मचारियों को अयोग्य घोषित करके प्रमोशन से वंचित किया था, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं। ऐसे में अब उन्हीं कर्मचारियों को फिर से प्रमोशन के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है।

वहीं बैक डेट से प्रमोशन देना भी कानून सम्मत नहीं हैं। कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।

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