2 बार किडनी खराब होने पर भी , बने गेम्स में विश्व चैंपियन : धर्मेंद्र सोती नारकोटिक विभाग बाराबंकी में सुपरिटेंडेंट पद पर कार्यरत हैं | उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुए खेलों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता है |
उन्होंने यह स्वर्ण पदक विश्व ट्रांसप्लांट बैडमिंटन स्पर्धा में जीता है | उन्होंने थाईलैंड के नाथोंपोलो को 10- 15 ,15-10,15-13 को 50-59 आयु वर्ग के एकल फाइनल में हराया है |
कहावत है कि “ मंजिलें उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता , हौसलों से उड़ान होती है “ ठीक ऐसा ही कुछ धर्मेंद्र सोती ने कर दिखाया है | धर्मेंद्र सोती एक किडनी के दम पर बैडमिंटन सपर्दा में विश्व चैंपियन बने |
वह किसी नजीर से कम नहीं है उन्होंने गेम जीत कर सभी को हैरान भी किया है और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन भी किया है |
धर्मेंद्र सोती क्या करते थे
धर्मेंद्र सोती नारकोटिक विभाग बाराबंकी में सुपरिटेंडेंट पद पर कार्यरत हैं | उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुए खेलों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता है | उन्होंने यह स्वर्ण पदक विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स में जीता है |
उन्होंने गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा में जीता है | उन्होंने थाईलैंड के नाथोंपोलो को 10- 15 ,15-10,15-13 को 50-59 आयु वर्ग के एकल फाइनल में हराया है |
धर्मेंद्र सोती ने एक किडनी के साथ जीता स्वर्ण पदक

धर्मेंद्र सोती की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी तब उनके छोटे भाई अवधेश ने उन्हें एक किडनी दान की | उनके भाई के द्वारा दी हुई किडनी भी जब खराब हो गई तो उन्हें एक किडनी उनके साले ने दान की |
उनके साथ इतना सब होने के बाद भी धर्मेंद्र सोती ने हार नहीं मानी और देश के लिए गेम खेल कर स्वर्ण पदक जीता और सफलता हासिल करें
