जयपुर के एक अस्पताल में बच्चे को चढ़ाया गया गलत खून : जेके लोन हॉस्पिटल जयपुर में बच्चे को O पॉजिटिव की जगह चढ़ाया गया AB पॉजिटिव खून
जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल में एक बहुत बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है जिसमें एक बच्चे को हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण गलत खून चढ़ा दिया गया |
उस बच्चे को क्या बीमारी थी
वह बच्चा 10 साल का था | वह बच्चा किडनी की बीमारी से ग्रस्त था | इस बच्चे की किडनी बचपन से ही छोटी थी | जिसके कारण उसकी हालत गंभीर हो गई थी | उस बच्चे को हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण गलत खून चढ़ा दिया गया |
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यह पूरा मामला कब का है
यह पूरा मामला 9 दिसंबर मंगलवार का है | इस मामले में एक 10 साल के छोटे बच्चे को अस्पताल के मैनेजमेंट के लापरवाही के कारण गलत खून चढ़ा दिया गया | वह बच्चा किडनी की बीमारी से ग्रस्त था |
उस बच्चे पर गलत ब्लड चढ़ाने के कोई नेगेटिव रिएक्शंस नहीं देखे गए हैं | अब उस बच्चे की हालत ठीक बताई जा रही है |
इस मामले में ब्लड बैंक की गलती सामने आई है
इस मामले में पूछताछ करने पर यह बात सामने आई है कि बच्चे की उम्र 10 साल है और वह एक किडनी की बीमारी से ग्रस्त था | उस बच्चे को यह बीमारी बचपन से ही थी | उस बच्चे की हालत ज्यादा खराब होने के कारण 4 दिसंबर को उसके माता-पिता उसे जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था |
उस बच्चे को क्रिटिकल केयर यूनिट में एडमिट करवाया गया था | कैलाश मीणा की यूनिट में बच्चे को एडमिट करवाया गया था | उसे बच्चे का ब्लड ग्रुप O पॉजिटिव था लेकिन उस बच्चे को AB पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया गया | बच्चों को 2 दिन बाद फिर ब्लड चढ़ाया गया जो की एबी पॉजिटिव था |
इसके बाद जब बच्चे की फाइल को चेक किया गया तब पूरा मामला सामने आया कि बच्चे को गलत खून चढ़ाया जा रहा है | यह हॉस्पिटल की एक बहुत बड़ी लापरवाही है जिसके कारण उसे बच्चों की हालत ज्यादा खराब हो सकती थी | अस्पताल में मैनेजमेंट को अपने जिम्मेदारी समझनी चाहिए और मरीज का इलाज ठीक से करना चाहिए |
जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल में एक बहुत बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है जिसमें एक बच्चे को हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण गलत खून चढ़ा दिया गया |

बच्चे की जांच के दौरान सारी रिपोर्ट नॉर्मल थी
बच्चे को गलत खून चढ़ाने के बाद जब उसकी जांच की गई तब रिपोर्ट में सारी चीज नॉर्मल आई थी | बच्चे पर गलत खून चढ़ाने का कोई ज्यादा असर नहीं देखा जा रहा था | बच्चे पर गलत खून का कोई भी रिएक्शन नहीं हुआ था |
बच्चे की किडनी बचपन से ही छोटी होने के कारण बच्चों की हालत ज्यादा खराब थी | इसलिए बच्चे की डायलिसिस की जा रही थी | बच्चे का क्रिएटिनिन रिपोर्ट जांच करने के बाद बच्चे का क्रिएटनीन लेवल 8 एमजी आया जो कि बच्चों में लगभग 1 एमजी होता है |
जब अस्पताल में कैलाश मीणा को इस बारे में पूछा गया तो कैलाश मीणा ने बताया कि बच्चे पर अभी तक गलत खून चढ़ाने का कोई भी रिएक्शन नहीं दिखाई दिया है | अभी तक बच्चे पर इस चीज का कोई असर नहीं पड़ा है |
वह बच्चा 10 साल का था | वह बच्चा किडनी की बीमारी से ग्रस्त था | इस बच्चे की किडनी बचपन से ही छोटी थी | जिसके कारण उसकी हालत गंभीर हो गई थी | उस बच्चे को हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण गलत खून चढ़ा दिया गया |
डायलिसिस लगातार करने पर बच्चे का क्रिएटिनिन लेवल भी 8mg से गिरकर 3 mg हो गया था | सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर कपिल गर्ग की अध्यक्षता में जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी | इसमें सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर आर एन सहारा, डॉक्टर के के यादव और ब्लड बैंक इंचार्ज डॉक्टर शांतिप्रिया भारद्वाज भी शामिल है |
