मिड डे मील बनाने के लिए स्कूलों में बढ़ाई गई लागत :राजकीय विद्यालय मेंदोपहर के टाइम पर बनने वाले खाने की लागत में बढ़ोतरी कर दी गई है जिससे वहां पर खाना बनाने वाली महिलाओं यानी कुक को भी अपनी सैलरी की बढ़ोतरी का इंतजार है |
मिड डे मील की लागत बढ़ाई गई
क्लास आठवीं तक के विद्यार्थियों को विद्यालय में दोपहर के खाने यानी मिड डे मील की लागत में बढ़ोतरी कर दी गई है | जैसा कि हम सब जानते हैं महंगाई लगातार बढ़ रही है इसलिए महंगाई बढ़ने के कारण स्कूलों में बनाए जाने वाले मिड डे मिल की लागत बढ़ा दी जाएगी |
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कच्चा माल लाने के लिए भी करना पड़ता था मुसीबत का सामना
राजकीय विद्यालय में दोपहर में बनाए जाने वाले खाने के लिए लाए जाने वाले कच्चे माल को खरीदने के लिए भी बहुत सारी मुसीबत का सामना करना पड़ता था |
मिड डे मील कार्यक्रम द्वारा कुकिंग कन्वर्जन यानी खाना बनाने के लिए लगा हुआ कच्चा माल के लिए भी एक आदेश जारी करके खाने की लागत में बढ़ोतरी की गई थी |
राजकीय विद्यालय में प्रति छात्र की पहले लगने वाली खान की दर
पहले बाल वाटिका एवं प्राथमिक विद्यालय में एक छात्र की प्रतिदिन खाने की दर 5.45 रुपए थी ,जिसे अब बढ़कर 6.19 रुपए किया गया है |
राजकीय स्कूलों में मिड डे मील को खरीदने का कार्य कौन करता है ?
राजकीय स्कूलों में मिड डे मील को खरीदने का कार्य पोषाहार प्रभारी करता है | सामान का बिल विद्यालय की SDMC के अनुशंसा के बाद दिया जाता है |

राजकीय विद्यालय में खाना कौन बनाता है ?
राजकीय विद्यालय में मिड डे मील यानी दोपहर का खाना बनाने का काम हेल्पर करती है | राज्य के विद्यालय में खाना बनाने वाली हेल्पर महिलाओं को 2146 रुपये सैलरी दी जाती है |
इन महिलाओं को भी अपने कुकिंग कंजर्व लागत बढ़ने के बाद में इनको भी अपनी सैलरी बढ़ाने का इंतजार है क्योंकि दोपहर के खाने के बाद में बढ़ोतरी होने के बाद अब महिलाओं को अपनी सैलरी बढ़ने का भी इंतजार है |
